दिल्ली और हरियाणा पुलिस से न्याय की आस में भटकती महिला वकील
कुलवंत कौर
नई दिल्ली। महिला सुरक्षा का दावा करने वाली सरकार कितनी संवेदनशील है पता चलता है, जब दिल्ली और हरियाणा पुलिस दोनों से न्याय की गुहार लगा रही गुरुग्राम न्यायालय में प्रैक्टिस करती महिला वकील रवनीत कौर, जो किसी को भी न्याय दिलाने के लिये सदा तत्पर रहती हैे। वही आज वो स्वयं ही न्याय के लिये दर-दर भटक रही है।
अधिवक्ता रवनीत कौर ने बताया कि वह पेशे से वकील जरूर है परंतु दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस और न्यायलय सभी जगह आज पिछले 2014 से न्याय के लिये भटक रही है। रवनीत कौर ने बताया कि 2014 से करण आनन्द जो गुरुग्राम की किसी कम्पनी में उच्च पद पर तैनात था, के साथ लिवरेलशन मे रहती थीं, परंतु उसने अपने परिवार के बारे में पूरा सच कभी नही बताया। वहीं रवनीत ने बताया कि अगस्त2014 में, गुरुग्राम सेक्टर 29 के थाने में पहली करण आंनद के खिलाफ जबरन शारिरिक, आर्थिक और मानसिक रूप से पीड़ित करने की शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन गुरुग्राम पुलिस ने दबाव बनाकर समझौता करवा दिया परंतु आन्नद की ज्यादतियां कम नही हुई। वहीं दबाव डाल कर पुलिस द्वारा 3 लाख रूपये लेकर मामला खत्म करने का दबाव बनाया और किसी न किसी बात को लेकर परेशान करता रहा ।
रवनीत ने बताया कि जब मैंने शादी करने का दबाव डाला तोे करण ने पुलिस में मेरे खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज करा दी। हरियाणा पुलिस ने मेरी एक न सुनी और देर रात झूठा वादा शादी का देकर समझौता करवा दिया। उसके परिवार वालो ने पहले तो शादी की इजाजत दे दी और हमने आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली। लेकिन शादी होने के बाद करण आनंद अचानक कही गायब हों गया। काफी तलाश के बाद भी नही मिला। अचानक पता चलता है कि मेरे खिलाफ मान्य कोर्ट में आनंद ने एफआईआर कर जांच की मांग की वहीं, जांच के नाम पर हरियाणा पुलिस मुझ पर फिर से दबाव डालती रही औऱ कई तरह की धमकियां देनी शुरू कर दी । करण अपने रुतबे के कारण मेरे खिलाफ विभन्न थानों अलग अलग तरह से शिकायतें दर्ज करा दी गई।
रवनीत कौर ने बताया कि मेरे द्वारा भी दिल्ली के द्वारका थाने में करण आनंद के खिलाफ 498a और मानसिक पीड़ा का मामला दर्ज करवाया है। करण आनद के खिलाफ मेरे द्वारा लगातार शिकायतें पड़ताड़ित करने की दी गई परंतु कहीं भी उचित कार्यवाही दोनो राज्योँ की पुलिस के द्वारा होती नजर नही आई। मेरी प्रशासन से अपील है कि महिला सशक्तिकरण की बात करने वाली सरकारें पुरी तरह मौन है लेकिन एक महिला अधिवक्ता की अपील की कही सुनवाई नही हो रही।
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