चैशियर होम दिल्ली यूनिट ओखला में भारी संख्या में प्रदर्शन
नई दिल्ली। चैशियर होम दिल्ली यूनिट के कर्मचारी, सेवकों का अपने बच्चों के साथ भारी संख्या में प्रदर्शन। चैशियर होम दिल्ली यूनिट के सुखदेव विहार स्थित सेंटर पर आज अपनी विभिन्न मांगों को लेकर होम के कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने होम के मैनेजमेन्ट पर शोषण का आरोप लगाया। प्रदर्शन में कर्मचारियों के छोटे-छोटे बच्चे भी अपने हाथों में तख्तियां ली हुई थी। प्रदर्शनकारियों में कर्मचारी सुमित्रा, शीला, विमला, भूरी देवी, मशाला, विनोद, जगमोहन, हरीश, कान्हाराम, श्याम, जगराम, रणजीत, अवधेश, रामप्रसाद, राजेश, हेमंत आदि शामिल थे। इन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मैनेजमेंट समाज की सेवा के लिए विदेशों से फंड लेकर उसका सही इस्तेमाल नहीं कर रहा है।
मैनेजमेंट के द्वारा यहां पीछले 30-40 सालों से काम कर रहे कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है। कर्मचारियों का आरोप है कि संस्थान द्वारा कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं दी जाती है। यहां काम कर रहे कर्मचारियों को मात्र 7 से 12 हाजर रुपए ही प्रतिमाह मिलते हैं। जो कि दिल्ली सरकार द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी से बहुत कम है। कर्मचारियों का आरोप है।चैशियर होम दिल्ली गैर सरकारी संस्था, ओखला, जामिया नगर में गत साठ वर्षों से भी ज्यादा समय से प्रचलन में है, वही यहां काम करने वाले कर्मचारी सेवादारों की लम्बी फौज है,जो यहां रह रहे, दिव्यांगो, मंदबुद्धि,बुजुर्गो,बेसहारा लोगो को विभिन्न सूचनाओं से यहां लाया जाता है, उनकी सेवा करते है , जिनके लिए सस्था को भारी मात्रा में दान, सहयोग राशि और अन्य सुविधायें संस्था के नाम मिलती है। प्रदर्शनकारीयों कहा की यहां 30-40 सालों से रह रहे हैं और अब उन्हें यहां से निकाला भी जा रहा है। बिजली, पानी के नाम पर मोटा बिल वसूला जाता है,जो नियम के विरूद्ध है। बोनस,फंड, ग्रेजुआटी, नही मिलती वही बंधुआ मजदूरों की तरह ,12से 14घंटे काम लिया जाता है।
ज्ञात हो कि चैशियर होम दिल्ली यूनिट एक गैर सरकारी संस्था है जो कि ओखला के सुखदेव विहार में पिछले साठ वर्षों से भी ज्यादा समय से कार्य कर रही है। मेजर जर्नल वीरेंद्र सिंह द्वारा शुरू की गई इस संस्थान को अभी मीरा प्रदीप सिंह चला रही हैं। जब कर्मचारियों के प्रदर्शन के बारे में पत्रकारों द्वारा मैनेजमेंट से बात करनी चाही तो उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया। एक बुजुर्ग महिला गुड्डी देवी ने बताया की मेरे पति ओमपाल की मृत्यु यहीं काम करते हुए हुई थी,लेकिन मैनेजमेंट ने कोई सहायता या मुआवजा तक नहीं दिया, ऐसे ही कई मामले यहां देखने को मिले, पीड़ितों का आरोप हे कि हमे सरकार द्वारा दी जा रही किसी भी प्रकार की सुविधाएं नही दी जाती वही बिजली, पानी के नाम पर मोटा बिल वसूला जाता है,जो नियम के विरूद्ध है। उन्होंने बताया की हमे वो सभी सुविधाएं, मिले जो सरकार ने तय की है। हम व हमारे परिवार वाले का गत ,40-50सालों से सेवा कर रहे हैं,लेकिन वही उनके मरने के बाद भी कोई सुविधाएं, बोनस,फंड, ग्रेजुआटी, नही मिलती वहीं बंधुआ मजदूरों की तरह ,12 से 14 घंटे काम लिया जाता है।
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