डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स के खिलाफ बढ़ती हिंसक घटनाएं चिंताजनक : आईएमए
बंसी लाल, वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली। कुछ साल पहले तक डॉक्टर्स और मेडिकल फील्ड से जुड़े लोगों को बहुत ही सम्मान और उम्मीद की निगाह से देखा जाता था यहां तक भगवान का दर्जा भी दिया जाता था। परंतु कुछ परस्थितिया ऐसी बन गई है कि अब मरीज और डॉक्टरों में अक्सर हिंसक वारदाते बड़ने लगी है जो चिंता का विषय तो है, साथ ही डॉक्टरों के खिलाफ अक्सर मुकदमे भी दर्ज हो जाते हैं। इस सबका असर ये हो रहा है कि डॉक्टर और मरीजों के बीच का रिश्ता डगमगा रहा है वही भरोसा कमजोर पड़ रहा है।
कोरोना महामारी के दौरान, डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ लोगों की सेवा कर रहे थे, और अपना फर्ज निभाते-निभाते 2000 से ज्यादा हेल्थ केयर वर्कर इस दुनिया से अलविदा हो गए। डॉक्टर अपनी ओर से कभी किसी मरीज को गलत नही समझता, वह गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज करने के लिए डॉक्टर्स चौबीसों घंटे उपलब्ध रहते हैं। वही सरकारी स्तर पर इलाज में देरी और प्राइवेट इलाज महंगा होना, वही मरीज अक्सर सरकारी हस्पताल में तब आता है,जब मरीज बहुत गंभीर स्थिति में होता है।
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा सहजानंद प्रसाद सिंह ,ने पुस्तक के बारे में बताया कि इस पुस्तक को ज्यादा से ज्यादा आम लोगो तक पहुंचे, डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मचारियों को भी पढ़नी चाहिए, जिससे हिंसा को रोकने के अलावा लोगों और स्वास्थ्य कर्मियों में जागरूकता आए। एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (एएचपीआई) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) संयुक्त रूप से एक किताब लेकर आया है. द प्रिवेंशन ऑफ वायलेंस अगेंस्ट हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स नाम की इस किताब को एएचपीआई के अध्यक्ष डा. अलेक्जेंडर थॉमस, और दिव्या अलेक्जेंडर ने सम्पादित किया है हमारा भी इसमें योगदान है।
उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में देशभर के 23 से अधिक विशेषज्ञों का व्यापक विश्लेषण है, जिसमें चिकित्सा, कानून, नीति निर्माण, कानून प्रवर्तन, मीडिया समेत इस समस्या के जानकारों का अनुभव शामिल है।
इसके अलावा यह पुस्तक स्वास्थ्य कर्मियों को संभावित घटनाओं की पहचान करने, कानूनी सलाह लेने और उस मामले के समाधान में भी मदद करेगी। इस किताब का परिचय भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के अलावा न्यायमूर्ति एम एन वेंकटचलैया, और मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष की प्रस्तावना के साथ लिखा गया है. निश्चित ही यह किताब हेल्थ वर्कर्स को सशक्त, एकजुट बनाने में सक्षम होगी और हेल्थ वर्कर्स के साथ होने वाली हिंसक घटनाओं के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का जरिया बनेगी।
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