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नोएडा मैनेजमेंट एसोसिएशन ने एनएमए हाउस में "बजट कार्यक्रम" का आयोजन

कुलवंत कौर, संवाददाता 

नोएडा। नोएडा मैनेजमेंट एसोसिएशन ने एनएमए हाउस में 5 फरवरी 2023 को इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरी ऑफ इंडिया और इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया नोएडा चैप्टर के सहयोग से एनएमए हाउस में "बजट कार्यक्रम" का आयोजन किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सीएमए सचिन कथुरिया ,सीए राम अक्षय, सीए प्रवीण कुमार सिंघल एवं सीएस दीपक जैन थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीएमए श्री सूरज प्रकाश, रिटायर्ड निदेशक - भारत अर्थमूवर्स लिमिटेड थे । डॉ योगेंद्र सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष - नोएडा मैनेजमेंट एसोसिएशन, सुश्री प्रीति वर्मा अध्यक्ष - आईसीएसआई, नॉएडा, श्री राहुल कुमार अत्री, अध्यक्ष आईसीएमएआई, नॉएडा एवं कार्यक्रम संचालक श्री दुर्गेश गर्ग, पूर्व उपाध्यक्ष - नोएडा मैनेजमेंट एसोसिएशन  ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि, सभी वक्ताओं एवं उपस्थित सदस्यों का स्वागत किया। श्री सी.एस. मिश्रा, श्री ए.के. गुप्ता और एनएमए, आईसीएआई और आईसीएसआई के अन्य वरिष्ठ सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

इस अवसर पर वक्ताओं ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों और उद्योगों के परिप्रेक्ष्य और भारतीय अर्थव्यवस्था पर समग्र प्रभाव के मद्दे नजर नए बजट के बारे में विस्तृत जानकारी दी। बजट के प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों की व्याख्या करते हुए सीएमए सचिन कथूरिया ने उल्लेख किया कि बजट 2023 स्पष्ट रूप से सरलीकृत कर संरचना के प्रति मोदी सरकार के दृष्टिकोण को परिभाषित करता है। इस सरकार ने अधिभार को मौजूदा 37% से घटाकर 25% करके उच्चतम करदाता श्रेणी से कर के बोझ को कम करने का साहस दिखाया है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः 3.74% की बचत हुई है। सरकार ने नई व्यवस्था में 15 लाख तक की आय वाले कर स्लैब को युक्तिसंगत बनाकर कम करदाता श्रेणी को भी लाभ दिया है, जिसमें जटिल कटौती और छूट के बिना सरलीकृत कर रिटर्न प्रारूप को सक्षम करने का विचार है।

अप्रत्यक्ष कराधान पर अपना दृष्टिकोण देते हुए, सीए राम अक्षय ने बताया कि केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में संशोधन के माध्यम से वित्त विधेयक, 2023 में जीएसटी कानून में कई बदलाव प्रस्तावित हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि प्रस्तावित संशोधन कानून व्याख्या के दृष्टिकोण से जैसे व्यापार करने में आसानी के साथ-साथ गैर-गंभीर प्रकृति के अपराधों को कम करना के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, सबसे आश्चर्यजनक संशोधन सीएसआर उद्देश्यों के लिए खरीदी गई वस्तुओं या सेवाओं पर आईटीसी को प्रतिबंधित करना है। इंडस्ट्री को इसकी उम्मीद नहीं थी। दरअसल, सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) खर्च हमेशा बिजनेस से ही जुड़ा होता है।

अर्थव्यवस्था पर बजट के प्रभाव के बारे में बताते हुए सीएस दीपक जैन ने बजट को सुधारवादी, परिवर्तनकारी और प्रगतिशील बताया। एक ऐसा बजट जो सतत, समावेशी और विकसित भारत की ओर बढ़ने वाले भारत के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा। उनके अनुसार, बजट में एक लचीली और विकसित अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में सभी उपायों का ध्यान रखा गया है। किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए विकास के तीन मुख्य घटक होते हैं जैसे पूंजीगत व्यय, स्वास्थ्य और शिक्षा जिन्हें अब तक का सबसे अधिक आवंटन किया गया है। समाज के हर वर्ग को उनके विकास और फलस्वरूप भारत के उच्च आय वर्ग, मध्यम और निम्न वर्ग, कॉर्पोरेट क्षेत्र, गरीब, आदिवासी, महिलाओं और युवाओं के विकास के लिए महत्व दिया गया है। उनके विचार में, सरकार को अपने बजट भाषण में समाज के सभी वर्गों द्वारा पालन किए जाने वाले सुशासन के गुण पर भी जोर देना चाहिए था। सुशासन से हमारा लक्ष्य आसान हो जाता है।

सीए प्रवीण कुमार सिंघल, पूर्व अध्यक्ष, आईसीएआई, नोएडा शाखा ने बजट 2023 में आयकर और उद्योगों पर प्रस्तावित प्रावधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में उद्योगों के लिए प्रस्तावित धन के आवंटन से विकास में मदद मिलेगी। उद्योग और हमारा भारत जल्द ही दुनिया में अग्रणी स्थिति में खड़ा होगा और जल्द ही पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करेगा।


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