संगत की गाढ़ी कमाई का पैसा सरकार की चापलूसी के लिए बर्बाद कर दिया : रणजीत कौर
कुलवंत कौर, संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी ने संगत द्वारा मेहनत की कमाई से गुरु घर को दिए गए दसवंद का डेढ़ करोड़ रुपये अमित शाह को सम्मानित करने तथा सरकारी चापलूसी में बर्बाद कर दिया। यह कहना है दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के सदस्य बीबी रणजीत कौर का। यहां एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बीबी रणजीत कौर ने आरोप लगाया कि दिल्ली कमेटी के पास स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को देने के लिए वेतन नहीं है, लेकिन अपने सुपर बॉस को सुर्खियों में बनाए रखने तथा सरकारों की चापलूसी करने के लिए जनरल हाऊस की मीटिंग में खर्चे के लिए प्रस्ताव पास किए बिना यह कार्यक्रम किया जो कि सीधे तौर पर गुरुद्वारा कानून का उल्लंघन है।
रणजीत कौर नें कहा कि एक तरफ ये लोग नवंबर 1984 के सिख नरसंहार के पीड़ितों को राशन, पेंशन और अन्य जरूरी मदद बंद कर रहे हैं, वहीं दूसरी तर इस तरह के अवैध खर्च करते हुए पंथ व संगत की पूंजी का दुरपयोग कर रहे हैं। संगत द्वारा दिए गए दान का एक-एक पैसे का हिसाब भगवान तथा स्वंय संगत को देना होता है दिल्ली कमेटी भूल रही है कि यह पैसा संगत का पैसा है किसी की निजी जायदाद नहीं है। संगत इस प्रकार के अनावश्यक खर्चों को बिल्कुल बर्दाशत नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम करने का उद्देश्य क्या है तथा संगत के पैसे का दुरपयोग क्यों किया गया इसका जवाब कमेटी प्रबंधकों को देना चाहिए। कार्यक्रम में मौजूद लोगों को ठोस रूप से विचार करना चाहिए कि इस कार्यक्रम से पंथ को क्या प्राप्ति हुई। उन्होंने कहा कि दिल्ली कमेटी द्वारा बीते दिनों एक प्रेस कान्फ्रेंस के माध्यम से चुने हुए सदस्यों की नामज़दगी रद्द करने के फैसले को कोर्ट का निर्णय बताया गया जबकि अदालत में इसकी सुनवाई 20 नवंबर को होनी है। उन्होंने अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका व महासचिव जगदीप सिंह काहलों से सवाल करते हुए पूछा कि क्या यह अदालत की तौहीन नहीं है।
इस दौरान बीबी रणजीत कौर की स्वयं की सदस्यता रद्द होने के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कमेटी द्वारा 87 लाख रुपये का जो नोटिस भेजा गया था उसकी अंतिम तारीख 19 सितंबर थी जिस पर उन्होंने अपने वकील के माध्यम से कमेटी को जरूरतमंदों के लिए की गई मदद की पूर्ण जानकारी मांगी थी लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं मिला। यह भी बेहद आश्यचर्य की बात है कि दिल्ली कमेटी का एक कर्मचारी संगत द्वारा चुने हुए सदस्य को इस प्रकार नोटिस कैसे जारी कर सकता है?
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