रेट माइनर्स को 26 जनवरी की परेड मे शामिल किया जाए
कुलवंत कौर, संवाददाता
नई दिल्ली। राष्ट्रीय सैनिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीर चक्र प्राप्त कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी ने बताया की रेट माइनर्स विशेष तौर मे मेघालय मे काम करते है। जहां इन्हे एक छोटा होल काटकर जिसमे केवल एक व्यक्ति ही जा सके उतारा जाता है। रस्सी या लकड़ी की सीढ़ी के सहारें ये रेट माइनर्स वहाँ से कोयला निकालता है। बारिसों के दिनों मे होल मे पानी भरने से मौत भी हो जाती है। चूंकि सूर्य के प्रकाश , आक्सीजन और वेनटीलेसन नहीं होता इसलिए स्थिति और खराब हो जाती है। यही कारण रहा की कई हजार रेट माइनर्स की अलग अलग घटनाओ मे मौत हो गई। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रेट माइनर्स प्रथा पर कुक वर्ष पहले पाबंदी लगा दी थी
राष्ट्रीय सैनिक संस्था के राष्ट्रीय सचिव गौरव सेनानी राजेन्द्र बगासी एवं राष्ट्रीय सैनिक संस्था के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष गौरव सेनानी पी पी सिंह ने बताया की अक्सर 10 मीटर बाय 10 मीटर का 100 मीटर गहरा गड्ढा खौदा जाता है और जहां भी कोयले की परत मिलती है। वहाँ से होरीजेंटल खुदाई करके रेट माइनर्स कोयला निकालते है। उत्तराखंड मे होरीजेंटल बोरिंग करते समय जब अमेरिका की मोगर ड्रिल लोहे के जाल से टकरा जाने के कारण फेल हो गई तब रेट माइनर्स को उतारा गया और उन्होंने आश्चर्य जनक तरीके से रातों रात कार्य पूरा करा दिया।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के संयोजक श्री राजीव खोसला ने कहा की आज से रेट माइनर्स को वीर माइनर्स के नाम से पुकारा जाएगा। देशकाल पात्र के कारण कभी कभी प्रतिबंधित चीजों का इस्तेमाल करना भी लाभदायक होता है। इसलिए आज रेट माइनर्स को राष्ट्रीय सैनिक संस्था मे शामिल कर लिया गया और टोपी पहनाकर उनका अभिनंदन किया गया। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखा जा रहा है की इन रेट माइनर्स को 26 जनवरी की परेड मे शामिल किया जाए। कार्यक्रम के अंत मे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के लिए उनकी पूर्णय तिथि पर दो मिनट का मौन रखा गया।
11 जनवरी , उडुप्पी रेस्टोरेंट, नवयुग मार्केट, गाजियाबाद : आज यहाँ राष्ट्रीय सैनिक संस्था ने रेट माइनर्स को नया खिताब दिया वीर माइनर्स। श्री अंकुर कुमार , श्री देवेन्द्र सिंह , श्री मोनू कुमार , श्री जागृति , श्री सौरभ , श्री नासिर , श्री वकील हसन , मुन्ना कुरेसी ,फिरोज मलिक , नसीम मलिक ,इरसाद अंसारी , रसीद अंसारी रेट माइनर्स मे बताया की जब हम उत्तराखंड के टनल मे फसे हुए 41 मजदूरों से मिले तो वो हमसे ऐसे गले मिलकर चिपट गए जैसे वो हमारे परिवार के सदस्य है।
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