सूर्या फ़ाउण्डेशन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर जागरूकता लाने के लिए एक सेमिनार आयोजित किया
कुलवंत कौर, संवाददाता
नई दिल्ली। मुख्य वक्ता मा. शंकरानन्द ने कहा कि छात्र को अन्तर्निहित दिव्यता को अभिव्यक्त करने योग्य बनाना शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने शिक्षा के तीन मंत्र, 1- छात्र को भगवत्स्वरूप मानकर शिक्षा देना, 2- त्याग पूर्ण, यज्ञभावित, परोपकारी व्यक्ति बनाना और 3 - व्यक्ति को सत्यनिष्ठ और कर्तव्यनिष्ठ बनाना, बताए। उन्होंने व्यक्ति का अर्थ व्यक्त करने वाला बताते हुए कहा कि शिक्षा के द्वारा व्यक्ति अपने को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से अभिव्यक्त करने योग्य बनना चाहिए। अन्त में उन्होंने कहा कि शिक्षकों को सदाचारी बनकर छात्रों को सदाचरण सिखाना चाहिए। सुखमय-सुविधापूर्ण रास्तों को छोड़कर कठिनाई भरे सन्मार्ग को अपनाना चाहिए।
मुख्य अतिथि के रूप में इस्कॉन के पूज्य संत प्रभु जी करुणाचन्द्र दास जी ने कहा कि केवल कौशल विकास से शिक्षा पूर्ण नहीं होती। व्यक्ति को सच्चरित्र और सद्गुण संपन्न बनाना जरूरी है। इसके लिए शिक्षा में कौशल विकास के साथ आध्यात्मिकता को सम्मिलित करना आवश्यक है।
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