श्री अकाल तख्त साहिब के फैसले का परमजीत सिंह सरना ने किया स्वागत
कुलवंत कौर, संवाददाता
नई दिल्ली। शिरोमणि अकाली दल दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा निशान साहिब का रंग मामले में दिये गये फैसले का स्वागत करते हैं। सः परमजीत सिंह सरना ने कहा पंथ द्वारा मान्यता प्राप्त सिख रहत मर्यादा के अनुसार श्री अकाल तख्त साहिब से जो आदेश निशान साहिब के रंग बसंती/पीला (असली केसरिया) या सुरमई होने के बारे में आया है, उस फैसले को पूरी सिख कौम ने श्रद्धा और सम्मान के साथ स्वीकार करते हुए न केवल इसे अपनाया है, बल्कि समुचे खालसा पंथ ने इस आदेश पर अत्यधिक खुशी व्यक्त करते हुए इसका स्वागत किया है और माना है कि यह फैसला सिख कौम की विशिष्ट पहचान के पक्ष में मील का पत्थर साबित होगा।
सः सरना ने कहा मगर जब इस आदेश के जारी होने के बाद विभिन्न चौनलों पर विचार-विमर्श हुआ, तो इसका सबसे अधिक विरोध राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और आर्य समाज की विचारधारा से जुड़े लोगों ने किया, जबकि सिखों के आंतरिक मामलों में बोलने का उन्हें कोई हक नहीं है। लेकिन उन लोगों ने 1927 से लेकर 1945 तक पंथ में व्यापक चर्चा के बाद श्री अकाल तख्त साहिब से मान्यता प्राप्त सिख मर्यादा और शिरोमणि कमेटी को भी अंग्रेजों की उपज बताया। उन्होंने कहा यह इत्तफाक है या कुछ और, लेकिन इन बातों के बाद सिखों के भीतर भी कुछ गुट इसी तरह से निशान साहिब के असली रंग बसंती/पीला (असली केसरिया) और सुरमई किए जाने के पंथ द्वारा मान्यता प्राप्त फैसले को बदलने के लिए सक्रिय हो गए हैं। उन लोगों से मैं कहना चाहूंगा कि यह फैसला सिख कौम के लिए इस सदी के अहम फैसलों में से एक है और पूरी सिख कौम ने खुले मन से उत्साह के साथ इसका स्वागत करते हुए पंथ की परंपराओं और सिद्धांतों के अनुसार लिए गए इस फैसले पर मोहर लगाई है।
सः सरना ने कहा आज जो लोग इस फैसले को पलटने के लिए सक्रिय हो गए हैं, उन्हें यह बात याद रखनी चाहिए कि सिख सिद्धांतों, परंपराओं और पंथ की सामूहिक राय के खिलाफ जाकर काम करना, जानबूझकर पंथ विरोधी ताकतों के साथ खड़ा होना है। जो भी लोग चाहे वे किसी भी पद या रुतबे पर हों, इस फैसले का विरोध कर रहे हैं या करेंगे, उनका भांडा पंथ में सरेआम फूट जाएगा और उनकी संघ और आर्य समाज के साथ मिलीभगत सार्वजनिक हो जाएगी। क्योंकि सारा पंथ इस मुद्दे पर एकमत है। अगर किसी को तकलीफ हुई है, तो वे ताकतें हैं जो सिखों को अपने में समाहित करने की लालसा और भावना रखती हैं। अब जो भी पंथ के खिलाफ जाएगा, वह इन पंथ विरोधी ताकतों के साथ खड़ा होगा और इसलिए पंथ द्वारा मान्यता प्राप्त इस ऐतिहासिक फैसले का विरोध करने वालों को दीवार पर लिखा पढ़ लेना चाहिए।
सः परमजीत सिंह सरना ने कहा हम सिंह साहिब जत्थेदार रघुबीर सिंह की अगुवाई में लिए गए इस ऐतिहासिक फैसले की बधाई देते हुए इस दिव्य आदेश के सामने शीश झुकाते हैं, और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान श्री हरजिंदर सिंह धामी और शिरोमणि अकाली दल के प्रधान श्री सुखबीर सिंह बादल द्वारा श्री अकाल तख्त साहिब के इन आदेशों को तुरंत लागू करने के प्रयासों की हम पूरी सराहना करते हुए दुनियाभर की सिख संस्थाओं से निवेदन करते हैं कि वे भी जल्द से जल्द इस दिव्य फरमान को अमल में लाएं।
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