विभागीय अनुमति के बिना...

विभागीय अनुमति के बिना वर्ष 2024 की निगम डायरी प्रकाशित होने पर विभागीय उच्च अधिकारी मोन

बंसी लाल, वरिष्ठ पत्रकार 

नई दिल्ली। वर्षों से दिल्ली नगर निगम की डायरी छपवाने का दायित्व प्रैस एवं सूचना कार्यालय /निदेशालय का है , जिसे निगम की बिना अनुमति के प्रकाशित नहीं किया जा सकता, किसी भी विभाग के " लोगो " सहित उस विभाग की अनुमति के बिना वर्तमान उच्च अधिकारियों , रिपोर्टर्स , चैनलों और नेताओं के नंबर डायरी के रूप में प्रकाशित कराना पीआरबी एक्ट का उल्लंघन और पद की गरिमा का दुरुपयोग व अपराध है , जिस पर FIR का प्रावधान भी है। 

हैरत की बात है कि वर्ष 2024 की निगम डायरी छप कर खुले आम विकी और निगम के शीर्ष नेताओं उच्चाधिकारियों को भनक नहीं , हद तो यह है की प्रेस एवं सूचना निदेशक श्री अमित कुमार के संज्ञान में आने के बाद भी बिना अनुमति निगम " लोगो " से सुसज्जित निगम की डायरी प्रकाशित होने और 300,400,5000 रुपए मैं बेचे जाने पर FIR तो दूर विभागीय आरंभिक जांच तक का पत्र जारी न हो सका।

विशेष सूत्रों के अनुसार निगम डायरी प्रकाशित करने के लिए डेटा कलेक्ट करने , नेताओं , अधिकारियों , समाचार पत्रों के रिपोर्टर्स और एजेंसियों आदि के नंबर कंफर्म करने का कार्य प्रैस एवं सूचना निदेशालय के कंटेकचुअल स्टाफ को दिया गया था, जिसे श्री अमित कुमार का विशेष संरक्षण प्राप्त है , उसे किसी भी समय कार्यालय आने-जाने की खुली छूट है , निदेशक महोदय के निकट होने कारण उपनिदेशक राकेश गुप्ता ने भी आंखें मूंद ली हैं।

आखिर निदेशक महोदय की ऐसी क्या मजबूरी है की खबरें प्रकाशित होने पर भी इस गंभीर अपराध पर ना तो FIR दर्ज कराई गई, न ही विभागीय कार्रवाई , सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि विभाग के एतिहासिक गंभीर मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, जिस से विभागीय अपराधी के हौसले बढ़े हैं , इतना गंभीर मामला प्रकाश में आने के बावजूद निगम की डायरेक्टरी मैं प्रकाशित होने वाले नंबरों को कंफर्म करने का कार्य भी संभवतः उसी भ्रष्टाचारी के पास है।

निगम " लोगो " के साथ पूरी डायरी बाहर से बिना प्रकाशित कराकर 300,400 और ₹500 में बेच दी गई , इस ऐतिहासिक और गंभीर मामले पर महापौर , निगमायुक्त , नेता सदन और किसी भी पार्षद ने अभी तक सदन में यह गंभीर मामला नहीं उठाया है , इसलिए कि विभागीय भ्रष्टाचारी द्वारा अपने आप को बचाने और षड्यंत्र को दबाने के लिए उच्च अधिकारियों और नेताओं को गुमराह करने का प्रयास किया गया है

Comments