कृष्ण की योगी बहन है योगमाया माता, कृष्ण और योगमाया का जन्म एक दिन ही हुआ था
कुलवंत कौर, संवाददाता
दक्षिणी दिल्ली। महरौली वार्ड नंबर एक में स्थित योगमाया मंदिर अथवा जोगमाया मंदिर कृष्ण की बहन मानी जाने वाली देवी योगमाया को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर कुतुब परिसर के करीब महरौली, दिल्ली, भारत में स्थित है। स्थानीय पुजारियों और देशी अभिलेखों के अनुसार यह मामलुकों द्वारा नष्ट किए गए उन 27 मंदिरों में से एक है और यह पूर्व-सल्तनत काल से संबंधित एकमात्र जीवित मंदिर है जो अभी भी उपयोग में है। हिंदू राजा सम्राट विक्रमादित्य हेमू ने मंदिर का पुनर्निर्माण किया और मंदिर को खंडहर से वापस लाया। औरंगजेब के शासनकाल के दौरान मंदिर में एक आयताकार इस्लामी शैली का हॉल जोड़ा गया था। इसकी मूल (300-200 ईसा पूर्व) वास्तुकला को इस्लामी शासकों द्वारा नष्ट किए जाने के बाद कभी भी बहाल नहीं किया जा सका परंतु फिर भी स्थानीय लोगों द्वारा इस मंदिर का अनेक बार पुनर्निर्माण किया गया।
बताया जाता है कि द्वापर युग में विष्णु जी श्रीकृष्ण के रूप में प्रकट होने वाले थे। कंस के कारागार में देवकी के गर्भ से श्रीकृष्ण का जन्म हुआ और दूसरी ओर गोकुल में नंद बाबा के यहां यशोदा जी के गर्भ से देवी मां ने योगमाया के रूप में यशोदा जी के गर्भ से जन्म लिया था। महारास प्रसंग के समय रास पंचाध्यायी के प्रथम श्लोक में श्री शुकदेव जी कहते हैं- “योगमायामुपाश्रिता” अर्थात योगमाया का ही आश्रय ग्रहण कर भगवान श्रीकृष्ण ने महारास की इच्छा की. यही देवी योगमाया लोक में भद्रकाली, दुर्गा, वैष्णवी, कुमुदा, चंडिका, कृष्णा, वृंदा, विजया, माधवी, कन्या, माया, नारायणी, अंबिका, शारदा इत्यादि नामों से विख्यात हुईं. आज अनेक स्थानों पर इनकी पूजा की जाती है।
ग्रंथों में दर्ज कहानी में जब कंश की मथुरा में श्रीकृष्ण ने कारागार में देवकी और वासुदेव के यहां जन्म लिया उसी दौरान नन्द गांव में नंद नरेश के यहां कन्या पैदा हुई उसी रात आकाशवाणी सुन वासुदेव रात्रि मे ही कृष्ण को लेकर नंद गांव गए और वहां जन्मी कन्या को लेकर मथुरा वापस कारागार में आ गए तभी कंश को पता चला कि कारागार में बंद देवकी और वासुदेव के यहां कन्या ने जन्म लिया कंश जो अपने वरदान से बंधा था की दोनों का आठवां बालक कंश का वध करेगा,कंश पहले सात बच्चों को मार चुका था,आठवीं कन्या पैदा होने से कंश ने जेल में जाकर उस कन्या को जैसे ही मारना चाहा तभी आकाश वाणी हुई कि कंश तेरी मौत नंद गांव में जन्म ले चुकी हैं,कंश जैसे कन्या का वध किया उसकी गर्दन यहां महरौली में आकर गिरी,धड़ मनसा देवी मंदिर,तभी से इन्हें योगमाया माता,व कई अन्य नमो से जानने लगे थे लोग।
देवी भागवत महापुराण बाराह पुराण आदि ग्रंथों से यह स्पष्ट होता है कि एकानंशा अथवा महामाया अथवा योगमाया ही भगवान श्री कृष्ण की बहन हैं. यह योगमाया ही यादवों की कुल देवी के रूप में उनकी उपास्य रही हैं. मथुरा एवं आसपास के क्षेत्रों में खुदाई के दौरान मिली एकानंशा के साथ-साथ सप्तमातृका की मूर्तियों का मिलना ब्रज में शक्ति की साधना को सिद्ध करता है।
ऐसा ऐतिहासिक भी कहा जाता है वृंदावन में योग माया मंदिर ,वृंदावन में प्राचीन श्री गोविंद देव मंदिर के नीचे नींव में योगमाया अथवा पाताल देवी का मंदिर स्थित है,यह सिद्ध देवी हैं। इस मंदिर के द्वार केवल नवरात्रों में ही दो बार श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुलते हैं. बाकी दिनों में मंदिर के सेवायत ही देवी की पूजा-अर्चना करते हैं. ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा में आने वाले गांव देवी आटस में भी प्राचीन योगमाया देवी का मंदिर है. यहां भी नवरात्रों में छठ मेले का आयोजन किया जाता है. योगमाया ब्रज के विभिन्न स्थलों पर अनेक नामों से पूजा-अर्चना होती है।आज भी महरौली में कई पीडिया यहां पूजा अर्चना बारी बारी से करती हैं ज्यादातर यहां वत्स ब्राह्मण परिवार से तालुक रखने वाले परिवार रहते हैं,मंदिर की पूजा नियमानुसार की जाती है,वैसे तो सभी त्यौहार मानते हैं लेकिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी, नव दुर्गा पूजा वही सभी हिन्दू धार्मिक त्यौहार धूमधाम से मनाएं जाते हैं।
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