शिरोमणी कमेटी गुरुद्वारा शहीदगंज साहिब, तिलक विहार को देगी 10 लाख रुपये
कुलवंत कौर, संवाददाता
नई दिल्ली। 1984 के सिख नरसंहार की 40वीं बरसी के अवसर पर आज गुरुद्वारा शहीदगंज साहिब, तिलक विहार में आयोजित गुरमत समारोह में गणमान्य लोग शामिल हुए। इस अवसर पर शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी और दिल्ली कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके भी शामिल हुए। धामी ने मृतकों को श्रद्धा के फूल अर्पित करते हुए गुरुद्वारा शहीदगंज साहिब के लिए शिरोमणी कमेटी की ओर से 10 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की। धामी ने कहा कि पिछले साल भी शिरोमणी कमेटी ने 10 लाख रुपये की सहायता राशि दी थी। शिरोमणी कमेटी पीड़ित परिवारों को हर तरह की मदद देने के लिए तैयार है, न्याय की लड़ाई में शिरोमणी कमेटी अपनी भूमिका निभाएगी, जीके साब ने मुझसे एक पीड़ित महिला की मदद करने को कहा, हम अपने लोगों के साथ खड़े थे और खड़े हैं।
जीके ने 1984 के पीड़ितों को न्याय, पुनर्वास और अन्य सामाजिक सुविधाएं मुहैया कराने में सरकारी मशीनरी के रवैये पर नाराजगी जताई। जीके ने केंद्र सरकार को 1984 के सिख नरसंहार के लिए सिख समुदाय से माफी मांगने का सुझाव दिया। जीके ने कहा कि अगर हम ध्यान से देखें तो न्याय देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट भी हमारे साथ नहीं खड़ा हुआ। जबकि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेकर आरोपियों को सजा देने का मार्ग प्रशस्त किया था। यही वजह है कि गुजरात दंगों के मामले में मंत्री तक को सज़ा हुई। जबकि गुजरात दंगों में दोनों तरफ से लोग मारे गए थे। लेकिन सिख नरसंहार के दौरान, केवल सिखों को ही मारा गया था। जीके ने सेवानिवृत्त हो रहे मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ को सिख कत्लेआम के दौरान सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अपनी आंखें बंद रखने के
सिखों से माफी मांगने की अपील की। जीके ने याद दिलाया कि 1984 में उनके पिता जस्टिस वाई.वी. चंद्रचूड़, भारत के मुख्य न्यायाधीश थे। लेकिन निर्दोष सिखों के साथ अमानवीय व्यवहार के खिलाफ वह संदिग्ध रूप से चुप रहे। जबकि भारतीय न्यायपालिका का सांप्रदायिकरण 1984 से पहले कभी नहीं हुआ था। इस मौके शिरोमणी कमेटी सदस्य राजिंदर सिंह मेहता, सुरजीत सिंह, दिल्ली कमेटी सदस्य सतनाम सिंह खीवा, महिंदर सिंह, अकाली नेता डॉ परमिंदर पाल सिंह, परमजीत सिंह मक्कड़, गुनजीत सिंह बख़्शी, सुखमन सिंह, रविन्द्र सिंह व मनजीत सिंह भी उक्त नेताओं के साथ मौजूद थे।
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